Indira Gandhi nahar pariyojna

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Indira Gandhi nahar

इंदिरा गांधी नहर परियोजना इन हिंदी

Indira Gandhi nahar pariyojna राजस्थान की एकमात्र प्रमुख नहर हैइंदिरा गांधी नहर का पुराना नाम राजस्थान नहर था। यह नहर राजस्थान के उत्तर पश्चिम भाग में बहती है। Indira Gandhi nahar को राजस्थान की मरूगंगा भी कहा जाता है। एक समय में बीकानेर और श्रीगंगानगर में पानी की बहुत ज्यादा किल्लत थी। Neha Kakkar biography in Hindi

Table of Contents

राजस्थान के दोनों जिलों में पानी की बहुत ज्यादा कमी थी इसको देखते हुए महाराजा गंगा सिंह ने 1927 Indira Gandhi nahar निर्माण का कार्य शुरू किया इस नहर का का निर्माण महाराजा गंगा सिंह बीकानेर के शासक थे उन्होंने करवाया था। और इस नहर को गंग नहर का नाम दिया गया जो आज भी गंगानगर में मौजूद है। Kamala sohonie biography in hindi

Indira Gandhi nahar pariyojna
Indira Gandhi nahar

Indira Gandhi nahar pariyojna

प्राचीन नामराजस्थान नहर
स्थापना1927
निर्मातामहाराजा गंगा सिंह
राज्य में कुल लंबाई470 किलोमीटर
लाभान्वित क्षेत्रश्रीगंगानगर, चूरू, हनुमानगढ़, जैसलमेर, बीकानेर, नागौर और बाड़मेर
प्रवेशमासितावाली हैंड
उद्घाटन2 नवंबर 1984
अंतिम बिंदुगड़रारोड़ – बाड़मेर
सिंचित क्षेत्र16.17 लाख हेक्टर
उद्गमबैराज हरि के
निर्माण1952
लिफ्ट नहर7 लिफ्ट नहर
सबसे छोटी लिफ्ट नहरवीर तेजाजी लिफ्ट नहर
मुख्य नहर की लंबाई256 किलोमीटर
इंदिरा गांधी फिडर की गहराई21 फीट

इंदिरा गांधी नहर परियोजना

राजस्थान में आने के बाद कई सारे बदलाव देखने को मिले इस नहर से पहले श्रीगंगानगर और बीकानेर में पानी की बहुत ज्यादा किल्लत थी इससे पहले इन दोनों जिलों में कोई भी नहर नहीं थी तो लोगों को पाने की दिक्कत बहुत ज्यादा आती थी Taapsee Pannu biography in hindi

इस नहर के आने वाले राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में चमत्कारी बदलाव आ रहा है। इस नहर को आने के बाद भूमि सिंचाई के साथ ही पेयजल और औद्योगिक कार्यों के लिए पानी मिलना शुरू हो गया। इस नहर निर्माण से पहले लोगों को पीने के लिए पानी बहुत बहुत दूर से लाना पढ़ता था। Manisha Rani biography in hindi

Indira Gandhi nahar परियोजना में 1200 क्यूसेक  पानी पीने औधोगिक कार्यों में यूज करने के लिए सेना के लिए उर्जा परियोजना के लिए आरक्षित किया गया है ।
अब  आमतौर  पर इस  नहर  से  चूरू, श्रीगंगानगर, बीकानेर, बाड़मेर ,नागौर, हनुमानगढ़ जैसे रेगिस्तान जिलों इंदिरा गांधी नहर का पेयजल पानी पहुंचाने की योजना चल रही है। इस नहर से जोधपुर बाड़मेर पाली पीने का पानी इस नहर से मिलेगा।

Indira Gandhi nahar पूरे 12 महीने चलती है। यह नहर 12 महीने लगातार चलती है और 12 महीने में एक बार ही बंद होती है इससे जिन जिलों को पीने का पानी मिलेगा उनमें कभी भी पानी की कमी नहीं आएगी क्योंकि यह साल में एक बार ही बंद होती है और लगातार चलती रहती है इसलिए पानी की कभी भी कमी नहीं आएगी जिन जिलों में इस नहर का पानी पीने के लिए काम में लिया जाएगा वहां पानी की आपूर्ति हमेशा रहेगी।  

Indira Gandhi nahar सतलुज और व्यास नदियों के संगम पर निर्मित है। इस नहर को हरीके बांध से निकाली गई है। राजस्थान पंजाब में पीने का पानी पूर्ति करती है। इस नहर की लंबाई पंजाब में 169 किलोमीटर है। पंजाब से निकलने के बाद इसे राजस्थान फीडर के नाम से जाना जाता है। पंजाब में इस नहर से सिंचाई नहीं होती है केवल पीने के लिए पानी दिया जाता है इंदिरा गांधी नहर की लंबाई राजस्थान में 470 किलोमीटर है। 

राजस्थान में Indira Gandhi nahar को राज कैनाल के नाम से भी जाना जाता है। इंदिरा गांधी नहर की मुख्य शाखा या मेन कैनाल 256 किलोमीटर लंबी है। इनकी  मेन फिडर 204  किलोमीटर  लंबी  है। जिसका  170  किलोमीटर ऐसा  पंजाब  हरियाणा  और  35  किलोमीटर  हिस्सा राजस्थान में है। जबकि वितरिकाएं 5606 किलोमीटर और सिंचाई 19.63 लाख हेक्टेयर आंका गया है। इंदिरा गांधी नहर की मेन फिडर 204 किलोमीटर लंबी है।

Indira Gandhi nahar video

इंदिरा गांधी नहर का पुनः उद्घाटन कब किया गया।

Indira Gandhi nahar का पुनः उद्घाटन 31 मार्च 1958 को किया गया। इसका उद्घाटन गृहमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने किया। जबकि इस नहर को 2 नवंबर1984 में इंदिरा गांधी नहर परियोजना कर दिया गया।

यह नहर पंजाब से राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले के मासितावाली हैंड से प्रवेश करती है। पानी की कमी देखते हुए 2017 में इसका सिंचाई का पानी घटाकर 16.17 हेक्टेयर कर दिया। इंदिरा गांधी नहर से राजस्थान के 10 जिले को पानी मिल रहा है।

चूरू सीकर झुंझुनू हनुमानगढ़ श्रीगंगानगर बीकानेर जोधपुर बाड़मेर जैसलमेर Indira Gandhi nahar का जीरो प्वॉइंट मोहनगढ़ जैसलमेर से बढ़ाकर गडरा रोड बाड़मेर कर दिया। इस नहर को राजस्थान की मरू गंगा जीवन रेखा भी कहा जाता है। नहर में 7 लिफ्ट नहर 9 शाखाएं निकाली गई है।

नवनिर्मित नहर का नाम बाबा रामदेव लिफ्ट नहर रखा गया। भैरवदान लिफ्ट नहर नहर के कारण सेम की समस्या लवणीय वह बीमारियों में वृद्धि हुई है। नहर इंदिरा गांधी परियोजना  प्रोजेक्ट वाणी जापान और भारत के बीच समझौता है।

 पुराना नाम क्या था इंदिरा गांधी नहर का

  पुराना  नाम Indira Gandhi nahar का ,राजस्थान नहर, था। इंदिरा गांधी नहर को पहले राजस्थान नहर के नाम से जाना जाता था उसके बाद उसको इंदिरा गांधी नहर नाम दिया गया।

इंदिरा गांधी नहर राजस्थान के किस हिस्से में बहती है

इंदिरा गांधी नहर राजस्थान के “उत्तर पश्चिम” दिशा में बहती हैं। और इसे राजस्थान की मरू गंगा भी कहते हैं।

इंदिरा गांधी नहर का निर्माण किसने करवाया

इंदिरा गांधी नहर का निर्माण राजस्थान के बीकानेर जिला श्रीगंगानगर पानी की किल्लत देखते हुए महाराजा गंगा सिंह ने 1927 में करवाया था। और जिसे गंगनहर नाम लिया गया।

इंदिरा गांधी नहर को कहां से निकाला गया है

इंदिरा गांधी नहर कई नदियों से मिलकर बनाई गई है जैसे सतलज और व्यास नदियों संगम पर निर्मित है इंदिरा गांधी नहर हरिके बांध से निकाला गया है।

इंदिरा गांधी नहर का पानी किन किन राज्य को मिलता है

Indira Gandhi nahar का पानी राजस्थान और पंजाब को मिलता है। लेकिन पंजाब में इस पानी से सिंचाई नहीं होती है लेकिन पीने के लिए ही दिया जाता है सिंचाई सिर्फ राजस्थान में होती है इंदिरा गांधी नहर से।

इंदिरा गांधी नहर की पंजाब में कुल लंबाई कितनी है।

पंजाब में इंदिरा गांधी नहर की लंबाई 169 किलोमीटर है। 

 इंदिरा गांधी नहर की कुल लंबाई राजस्थान में  कितनी है।

 नहर की लंबाई  कुल 470 किलोमीटर है।

इंदिरा गांधी नहर का पुनः उद्घाटन कब किया गया

 नहर का पुनः उद्घाटन गृहमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने 31 मार्च 1958  किया।

इंदिरा गांधी नहर का नाम इंदिरा गांधी परियोजना कब किया गया

इस नहर का नाम इंदिरा गांधी परियोजना 2 नवंबर 1984 को कर दिया गया। 

इंदिरा गांधी नहर से कितने लिफ्ट नहर निकलती है

इंदिरा गांधी नहर से 7 लिफ्ट नहर निकलती है।

राजस्थान की किस नहर को मरू गंगा या जीवन रेखा किसे कहते हैं

राजस्थान की मरू गंगा या जीवन रेखा Indira Gandhi nahar को कहा गया है। ऐसे मरूंगा यदि उसे खा क्यों कहा गया है क्योंकि एक टाइम में राजस्थान में पानी की बहुत ज्यादा किल्लत थी इसके बाद महाराजा गंगा सिंह ने इस नहर का निर्माण करवाया और राजस्थान में पानी की पूर्ति होने लगे तो इसे जीवन रखा गया मरू गंगा भी कहा है।

इंदिरा गांधी नहर की कुल लंबाई

इंदिरा गांधी नहर की कुल लंबाई 649 किलोमीटर है। यह नहर अपने आप में किसी आश्चर्य से कम नहीं है।

हमारे देश की सबसे लंबी नहर कौन सी है

राजस्थान के लिए जीवनरेखा बन चुकी इंदिरा गांधी नहर देश की सबसे लंबी नहर है।

इंदिरा गांधी नहर की लिफ्ट नहर कहां पर है

1.  इंदिरा गांधी नहर में 7 लिफ्ट नहर हैं। कंंवरसेन  लिफ्ट नहर  इंदिरा गांधी नहर की पहली लंबी 151 किलोमीटर नहर है। इस नहर को बीकानेर की जीवन रेखा भी कहा जाता है।
2. सबसे छोटी इंदिरा गांधी  नहर वीर तेजाजी सबसे छोटी लिफ्ट नहर है।

3. चौधरी कुंभाराम लिफ्ट नहर

4.  पन्नालाल बारूपाल लिफ्ट नहर

5.  डॉक्टर करणीसिंह लिफ्ट नहर 
6.  जंभेश्वर लिफ्ट नहर 
7.  जय नारायण व्यास लिफ्ट नहर

इंदिरा गांधी नहर किन किन जिलों में पानी आपूर्ति करती है।

इंदिरा गांधी नहर 8 जिलों में और जिलों में सिंचाई और 10 जिलों में पेयजल के लिए पानी उपलब्ध कराती है।जिले हनुमानगढ़ श्री गंगानगर बीकानेर जैसलमेर बाड़मेरचूरू सीकर जोधपुर नागौर सिंचाई व झुंझुनू में पेयजल के लिए। 

किस नदी से इंदिरा गांधी नहर निकलती है

इंदिरा गांधी नहर हरीके बांध से निकलती है।

इंदिरा गांधी नहर की शाखाएं कौन-कौन सी है

1. सूरतगढ़ शाखा श्रीगंगानगर 2. रावतसर शाखा हनुमानगढ़ 3. पूगल शाखा बीकानेर 4. दंन्तौर शाखा बीकानेर 5. बिरसलपुर  शाखा बीकानेर 6. शहीद बीरबल शाखा जैसलमेर 7. चारणवाला शाखा बीकानेर जैसलमेर  8.  सागरमलगोपा  शाखा   जैसलमेर  9. अनूपगढ़ शाखा श्रीगंगानगर

इंदिरा गांधी नहर कहानी

  • अब बात करेंगे इंदिरा गांधी नहर कैसे बनी किन किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा। थार का मरुस्थल की दुनिया का सबसे गर्म मरुस्थल है जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो यह मरुस्थल मैं बट गया पाकिस्तान में सिंध और पंजाब को मिला इस मरुस्थल का एक छोटा सा हिस्सा भारत को किस का एक बड़ा हिस्सा मिला था उसमें भी 90% हिस्सा मिला राजस्थान को एक वक्त था जहां पर पानी खोजने में सुई खोजने जाता था और इतनी भयानक होती थी यहां से भूलकर भी नहीं करना चाहता था।
  • यहां के लोगों ने गर्मी के हर सितम को सहते हुए सैकड़ों साल बिता दिए थे लेकिन छप्पनिया अकाल ने जो तबाही मचाई उसके बाद लोगों को पानी की समस्या के स्थाई समाधान का इंतजार था। 1899 में पड़े सदी के सबसे भयानक छप्पनिया अकाल के बाद यहां के राजाओं को भी पानी की समस्या पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया था इसे के समाधान पर दिन-रात विचार कर रहे थे
  • बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह उन्होंने कई लोगों से मशविरा किया और फिर नहर बनवाने की सोची जिस साल छप्पनिया अकाल पढ़ा था। ठीक उसी साल यानी कि सन 18 सो 99 में इस साल हिसार के तोहाना में कुंवर सिंह का जन्म हुआ था। कुवंर सिंह गुप्ता यह वह नाम है। राजस्थान के कम ही लोग जानते हैं अगर कुंवर से नहीं होते तो ना यह इंदिरा गांधी नहर होती
  • और पानी के लिए आज आप और हम भी उतनी ही मशक्कत करनी पड़ती जितनी पहले के लोगों ने की थी। वह कहते हैं ना कुदरत किसी को भी अपने साथ खिलवाड़ आसानी से नहीं करने देती। तो फिर मरुस्थल कैसे करने देता 50 डिग्री से भी ऊपर का पारा और रोज आंधी तूफान ना मशीन नाही टेक्निक नाही इंजीनियर इंजीनियर तो इस नहर की तरफ देखना ही नहीं चाहते थे।
  • लेकिन उन कठिन हालातों में भी कुवंर सिंह महाराजा गंगा सिंह का राजस्थान में नहर लाने का सपना पूरा कर के दिखाया। इसने Indira Gandhi nahar के निर्माण में लाखों चुनौतियां आई हजारों कठिनाइयां आई कई जानें भी गई। Indira Gandhi nahar के निर्माण किसने किया खून पसीना एक और कैसे मरुस्थल के सीने को चीर कर एक 649 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण किया ।
  • Indira Gandhi nahar की सच्ची कहानी में आज आपको सुनाऊंगा राजस्थान में चर्चित रियासतों में से एक थी बीकानेर रियासत जहां महाराजा गंगा सिंह ने साल 1888 मैं गद्दी संभाली थी वे खुले विचारों वाले और दूरदर्शी थे।
  • साल 1899 मैं पड़े छप्पनिया अकाल तड़पती जनता की चीखे उन्होंने खूब सुनी थी। इसलिए वे चाहते थे कि पंजाब से सतलुज नदी का पानी लाकर नहर का निर्माण कराया जाए और नहर के जरिए जैसलमेर तक पहुंचाया जा सके और इन इलाकों की पानी की समस्या खत्म हो जाए। इसके लिए उन्होंने गंग नहर बनवाई इस नहर के जरिए बीकानेर में सूखी पड़ी जमीन में पानी तो लाया लेकिन लोग नहीं लोगों को बसाने के लिए उन्होंने मुफ्त में घर बनाने और खेती करने के लिए जमीन ए दी ।
  • गंग नहर ने मानो बीकानेर की दिशा ही बदल दी इस क्रांतिकारी प्रयास के कारण उन्हें भारत का भागीरथ भी कहा जाता है। लेकिन पानी की कमी सिर्फ बीकानेर में ही नहीं थी।
  • चूरु नागौर जैसलमेर राजस्थान के कई जगहों को थी। महाराजा गंगा सिंह ने इस नहर को जैसलमेर तक ले जाने की कोशिश की लेकिन पैसे की कमी के कारण उनका यह सपना पूरा न हो सका लेकिन राजस्थान के भाग्य में जब तक Indira Gandhi nahar का निर्माण लिखा जा चुका था।
  • इसीलिए तो महाराजा गंगा सिंह के दरबार में नऐ चीफ इंजीनियर बने कंवर सिंह गुप्ता कुंवर सिंह ने उस जमाने में थॉमस कॉलेज से इंजीनियरिंग की थी
  • जिसे आज आईआईटी रुड़की भी कहा जाता है। कंवर सिंह गुप्ता के विचार महाराजा गंगा सिंह से मिलते थे। महाराजा गंगा सिंह के कहने पर ही कंवर सिंह गुप्ता ने पंजाब से राजस्थान तक Indira Gandhi nahar का एक नक्शा तैयार किया।
  • जो Indira Gandhi nahar के लिए तैयार किया गया पहला ड्राफ्ट था। साल 1943 में महाराजा गंगा सिंह का कैंसर के कारण निधन हो गया।
  • जिसके बाद बीकानेर की गद्दी मिली उनके बेटे सादुल सिंह को लेकिन साल 1947 में देश के आजाद होने के साथ ही राजशाही खत्म हो गई
  • और देश में पहली बार सरकार बनी। अब भारत में नाही राजा रहे नाही रजवाड़े लेकिन कुंवर सिंह नए महाराजा गंगा सिंह का सपने को धुंधला नहीं होने दिया।
  • उन्होंने आजादी के 1 साल बाद यानी 1948 मैं नहर के लिए तैयार किया ड्राफ्ट सरकार को भेज दिया।

पर इसका नतीजा कुछ नहीं निकला कई साल लग गए केंद्र सरकार को यह समझने में कि राजस्थान को अब हर हाल में एक Indira Gandhi nahar चाहिए ही चाहिए आखिरकार 31 मार्च 1958 को नहर के निर्माण का श्रीगणेश किया गया। उस समय के गृहमंत्री गोविंद बल्लभ पंत द्वारा किया गया। उस समय लोगों को यह कार्य असंभव लग रहा था।

क्योंकि इतने बड़े रेगिस्तान में Indira Gandhi nahar निकालना अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती थी। लेकिन कंवर सिंह पूरा नक्शा तैयार कर चुके थे। ठाना उन्होंने था तो नहर बनाने की जिम्मेदारी भी उन्हें दी गई। इस नहर परियोजना को नाम दिया गया राजस्थान नहर परियोजना और यह तय किया गया कि इसको पानी पंजाब देगा पंजाबी एक अच्छा पड़ोसी होने के नाते राजस्थान को पानी देने के लिए तैयार हो गया। पंजाब के फिरोजपुर हरि के नाम की एक जगह पर सतलुज और व्यास नदी का संगम होता था।

और यहीं पर हरिके बैराज बनाया गया इस बैराज से नहर निकालकर राजस्थान लाई जानी थी। लेकिन यही तो असली समस्या थी। पंजाब पानी देने के लिए तैयार था और राजस्थान पानी देने के लिए तैयार था। लेकिन घर का यह मरुस्थल ही पानी लेने के लिए तैयार नहीं था। तभी तो एक से बढ़कर एक समस्या पैदा होने शुरू हो गई।

गर्मी के मौसम में भयानक गर्मी पड़ती थी और सर्दी के मौसम में भयानक ठंड धूल भरी आंधी या रेत के बवंडर मौसम इतना खराब कि कोई भी इंजीनियर यहां काम करने के लिए तैयार नहीं होता था। उस वक्त नाही आधुनिक मशीनें थी लेकिन राजस्थान के इस वातावरण से निपटने के लिए कंवर सिंह और उनकी टीम तैयार थी। वह जानते थे इन हालातों में रेगिस्तान का जहाज ही काम आ सकता है। इसलिए उनको को मिट्टी खोदने के लिए लगाया गया।

सबसे मेहनती कहे जाने वाले जानवर गधों ने ऊंटों का पूरा साथ दिया। सैकड़ों मजदूरों और हजारों इंजीनियर जानवरों बिना थके कई कई घंटों तक कार्य किया लेकिन मेहनत गर्मी और धूल भरी आंधियों ने हालत इतने बेहकर कर दिए थे कि उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। मौसम की मार और आंधी तूफान से तंग आकर इंजीनियर काम छोड़कर बीच में ही चले जाते थे। दोस्तों इस नहर निर्माण के लिए इंजीनियर ढूंढना बहुत बड़ी चुनौती था।

इसलिए परियोजना चीफ इंजीनियर अलग-अलग पॉलिटेक्निक कॉलेज इंजीनियरिंग कॉलेज मैं जाकर इस परियोजना में काम करने के लिए आमंत्रित किया करते थे। कुंवर सिंह और उनकी टीम ने यह तय किया था कि इस काम को जल्दी से जल्दी किया जाए। इसीलिए उनका और गधों को काम पर लगाया गया। और मजदूरों की संख्या भी बढ़ा दी गई। काम की स्पीड को दोगुना कर दिया गया। कहा जाता है कि ऊंट और गधा ने मिलकर इतनी मिट्टी की धुलाई और खुदाई की उस मिट्टी से धरती के चारों तरफ 4 फुट मोटी 20 फुट चौड़ी सड़क बनाई जा सकती थी।

अगर यह जानवर नहीं होते तो यह नहर बन्ना किसी भी हालात में संभव नहीं था। कठिन मौसम के चलते कितने ही ऊंट और गधे ने अपना दम तोड़ दिया। कई मजदूरों और इंजीनियरों ने भी अपनी जान गवा दी। लेकिन फिर भी काम को रोका नहीं गया। आखिरकार 4 साल की मेहनत के बाद राजस्थान मैं Indira Gandhi nahar मैं पहली बार पानी आया। यह नहर के निर्माण का प्रथम चरण का काम पूरा हुआ था। जिसमें पंजाब के हरिके बैराज से हनुमानगढ़ के मसीतावाली हेड तक पहला ऐसा बनाया गया।

और इसे नाम दिया गया राजस्थान फिडर यहां एक बात समझने लायक है। Indira Gandhi nahar की कुल लंबाई 649 किलोमीटर है तो सोचिए यह नहर कितनी लंबी होगी। तो एक ही बार में इतनी बड़ी लंबी नहर बनाना संभव नहीं था। इसीलिए पहले राजस्थान में डर बनाकर पानी लाया गया।

फिर आगे जैसलमेर तक पानी पहुंचाने के लिए मुख्य नहर बनाई गई। इसलिए इस नहर परियोजना में दो नहरे शामिल है पहली राजस्थान फीडर जो कि 204 किलोमीटर लंबी है। दूसरी 445 किलोमीटर मुख्य नहर नहर की राजस्थान में एंट्री हो सके इसके लिए 204 किलोमीटर लंबी राजस्थान पीटर बनाई गई। जिसका 170 किलोमीटर हिस्सा हरियाणा और पंजाब में था।

इसका 34 किलोमीटर है राजस्थान में आया था। किससे राजस्थान के लोगों को निराशा ना हो इसके लिए पहले ही चरण में मुख्य नहर का 189 किलोमीटर लंबा हिस्सा तैयार कर दिया गया था। 11 अक्टूबर 1961 को डॉक्टर सर्वपल्ली राधा ने इस Indira Gandhi nahar का उद्घाटन किया और इस नहर में पानी आया।

नहर के पानी ने मरूभूमि सूखी जमीन को ही नहीं बल्कि इंसानों के चेहरे पर भी हरियाली की मुस्कान ला दी थी। अब लोगों को पीने और सिंचाई करने के लिए पानी मिलने लगा। Indira Gandhi nahar आते आसपास के इलाकों की रंगत बदलने लगी। सालों काम करने वाले इंजीनियर और मजदूरों के चेहरे पर भी भी संतोष था।

वही जनता के चेहरों पर पानी आने की खुश अपनी टीम के साथ मिलकर कंवर सिंह ने असंभव लगने वाले काम को संभव कर दिखाया। वैसे तो किस नहर के निर्माण में कई घोटालों के आरोप भी लगे थे। लेकिन पानी आने की खुशी और नहर के फायदों के सामने उन्हें भुला दिया गया।

Indira Gandhi nahar के प्रोजेक्ट को सक्सेसफुल बनाकर हजारों मजदूरों उंटो और बताओ साथ ही कवंर सिंह कि टीम ने राजस्थान के भाग्य को बदल कर रख दिया। कवंर सिंह को मरुस्थल का भागीरथ का गया। और उन्हें पद्मभूषण से नवाजा गया।

राजस्थान नहर की एंट्री मरु परदेस में हो चुकी थी। लेकिन अब सबसे मुश्किल काम था पानी पहुंचाने का और मुख्य नहर के निर्माण का अब यहां एक है भी सवाल का जिक्र होता है कि इस पूरी कहानी में इंदिरा गांधी का कहीं भी जिक्र नहीं हुआ। Indira Gandhi nahar नहर बनाने में मेहनत तो कुंवर सिंह मजदूरों ने उन्होंने गधों ने की थी।

तो नहर का नाम इंदिरा गांधी के नाम पर क्यों रखा गया और दूसरा सवाल यह है कि कि अभी तक नहर हनुमानगढ़ तक ही पहुंची थी। जैसलमेर तक इसने अपना सफर कैसे तय किया। इस कहानी का जवाब हम अगले पार्ट में आपको देंगे।

FAQ

भारत कौन सी नहर सबसे लंबी है

सबसे लंबी नहर भारत की इंदिरा गांधी नहर है।

राजस्थान का भागीरथ किसे कहा जाता है।

राजस्थान का भागीरथ महाराजा गंगा सिंह को कहा जाता है क्योंकि महाराजा गंगा सिंह ने राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर का निर्माण करवाया था। क्योंकि राजस्थान में कोई नहर नहीं थी पानी के लिए यहां के लोगों को बहुत दूर दूर तक जाना पड़ता था। कब महाराजा गंगा सिंह गंग नहर निकालने का प्रयास किया यह नहर निकाल नहीं बहुत असंभव थी। लेकिन असंभव को संभव बना दिया।

भारत में पहली नहर कब बनी

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तो दोस्तों हमारे द्वारा इस आर्टिकल में Indira Gandhi nahar जानकारी देने की कोशिश की गई है शायद आपको यहां पर आपका जो भी सवाल था Indira Gandhi nahar के पंक्त आपको मिल गया होगा। अगर आपको इसके बारे में कुछ और पता है तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं धन्यवाद।

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